1. गले से उत्पन्न।
2. जिसका उच्चारण कंठ से हो।
3. गले या स्वर के लिये हितकारी। जैसे- कंठ्य औषध।
1. वह वर्ण जिसका उच्चारण कंठ से होता है। हिन्दी वर्णमाला में ऐसे आठ वर्ण हैं- अ, क, ख, ग, घ, ङ, ह और विसर्ग।
2. वह वस्तु जिसके खाने से स्वर अच्छा होता है या गला खुलता है। गले के लिये उपकारी औषध।
विशेष – सोंठ, कुलंजन, मिर्च, बच, राई, पीपर, पान।
गुटिका करि मुख मेलिए, सुर कोकिला समान। - वैद्यजीवन शब्दसागर
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 723 |
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