कजराई - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा स्त्रीलिंग (हिन्दी काजल+आई प्रत्यय)[1]
कालापन।
उदाहरण-
(क) गई ललाई आधर ते कजराई अँखियान। चंदन पंक न कुचन में आवति बात तियान। - शृंगाई सतसई
(ख) सितारों की जलन से बादलों को आँच कब आई। न चंदा को कभी व्यापी अमा की घोर कजराई। - ठंडा लोहा[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 744 |
- ↑ ठंडा लोहा, पृष्ठ 76, धर्मवीर भारती, साहित्य भवन लिमिटेड, प्रयाग, प्रथम संस्करण, 1952
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