कंडा - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत स्कन्दन = मलत्याग) (स्त्रीलिंग अल्पार्थक कंडी)[1]
1. सूखा गोबर जो ईंधन के काम में आता है।
मुहावरा-
'कंडा होना' = (1) सूखना। दुर्बल होना। ऐंठ जाना। (2) मर जाना। जैसे- ऐसा पटका कि कंडा हो गया।
2. लंबे आकार में पथा हुआ सूखा गोबर जो जलाने के काम में माता है।
3. सूखा मल। गोटा। सुद्दा।
कंडा - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत काण्ड)
मूंज के पौधे का डंठल जिसके चिक, कलम, मोढ़े आदि बनाए जाते हैं। सरकंडा।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 723 |
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