कच्छपिका - संज्ञा स्त्रीलिंग (संस्कृत)[1]
1. एक प्रकार का क्षुद्र रोग जिसमें पाँच छह फोड़े निकलते हैं जो कछुए की पीठ ऐसे होते हैं और कफ और बात से उत्पन्न होते हैं। - माधवनिदान[2]
2. प्रमेह के कारण उत्पन्न होने वाली फुड़ियों का एक भेद। ये फुड़ियाँ छोटी छोटी शरीर के कठिन भाग में कछुए की पीठ के आकार की होती हैं। इनमें जलन होती ह। कच्छपी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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