कंचुली - संज्ञा स्त्रीलिंग (संस्कृत कञ्चुली)[1]
केंचुल।
उदाहरण-
(क) विषै कर्म की कंचुली, पहिर हुआ नर नाग। - कबीर ग्रंथावली[2]
(ख) माँग तै मुकुतावलि टरि, अलक संग अरुझि रही उरगिनि सत फन मानौ कंचुलि तजि दीनी। - सूरसागर[3]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 719 |
- ↑ कबीर ग्रंथावली, पृष्ठ 41, सम्पादक श्यामसुंदर दास, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी
- ↑ सूरसागर (दो भाग), 10।1964 नागरी प्रचारिणी सभा, द्वितीय संस्करण
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