कछावतार - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कच्छ+अवतार)[1]
कच्छपावतार।
उदाहरण-
कछावतार किद्धयं। लछम्मि जीत लिद्धयं। - पृथ्वीराज रासो[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 743 |
- ↑ पृथ्वीराज रासो, खंड 5, सं. मोहनलाल विष्णुलाल पंड्या, श्यामसुंदर दास, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, प्रथम संस्करण
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