कग्ग - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) विशेषण (संस्कृत काक, हिन्दी काग)[1]
धृष्ट। ठीठ।
उदाहरण-
सकट व्यूह सजि सुभग कग्ग चामंड अग्ग करि। - पृथ्वीराज रासो[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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कग्ग - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) विशेषण (संस्कृत काक, हिन्दी काग)[1]
धृष्ट। ठीठ।
उदाहरण-
सकट व्यूह सजि सुभग कग्ग चामंड अग्ग करि। - पृथ्वीराज रासो[2]
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