कग्ग

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कग्ग - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) विशेषण (संस्कृत काक, हिन्दी काग)[1]

धृष्ट। ठीठ।

उदाहरण-

सकट व्यूह सजि सुभग कग्ग चामंड अग्ग करि। - पृथ्वीराज रासो[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 735 |
  2. पृथ्वीराज रासो, खंड 4, पृष्ठ 622, सम्पादक कविराज मोहनसिंह, साहित्य संस्थान राजस्थान विश्व विद्यापीठे, उदयपुर, प्रथम संस्करण

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