कजाकी - संज्ञा स्त्रीलिंग (तुर्की क़ज्जाक़+फ़ारसी ई प्रत्यय)[1]
1. लुटेरापन। लूटमार।
उदाहरण-
फिरि फिरि दौरत देखियत निचले नेतु रहैं न। ये कजरारे कौन पै करत कजाकी नैन। - कवि बिहारी
2. छल कपट। धोखेबाजी। धूर्तजा।
उदाहरण-
सहित भला कहि चित अली लिये कजाकी माहिं। कला लला की न लगी चली चालाकी नाहीं। - शृंगाई सतसई
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 745 |
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