ककुभ

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ककुभ - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत)[1]

1. अर्जुन का पेड़।

2. वीणा का एक अंग। वीणा के ऊपर का वह अंग जो मुड़ा रहता है। प्रसेक्क।

विशेष- कोई कोई नीचे के तूंबे को भी ककुभ कहते हैं।

3. एक राग

4. एक छंद जो तीन पदों का होता है। इसके पहले पद में 8, दूसरे में 12 और तीसरे में 18 वर्ण होते हैं।

5. दिशा।

6. कुटज फूल[2]

7. दैत्यों के एक राजा का नाम[3]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 734 |
  2. अन्य कोश
  3. अन्य कोश

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