कंठा - संज्ञा पुल्लिंग (हिन्दी कंठ) (स्त्रीलिंग अल्पार्थक कंठी[1]
1. वह भिन्न भिन्न रंगों की रेखा जो तोते आदि पक्षियों के गले के चारों ओर निकल आती है। हँसली।
2. गले का एक गहना जिसमें बड़े बड़े मनके होते हैं। ये मनके सोने, मोती या रुद्राक्ष के होते हैं।
3. कुरते या अँगरखे का वह अर्धचंद्राकार भाग जो गले पर आगे की ओर रहता है। (दर्जी)।
4. वह अर्धचंद्राकार कटा हुआ कपड़ा जो कुरते या अंगे के कंठे पर लगाया जाता है।
5. पत्थर या मोढ़े की पीठ का वह भाग जो उपान और कारनिस के बीच में हो।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 722 |
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