ककुल

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ककुल - संज्ञा पुल्लिंग (हिन्दी)[1]

काका

उदाहरण-

ककुल बबुल सिब देखिऐ रे, बिरँनु कहूँन दिखाँई, राजा भातई रे। - पोद्दार अभिनंदन ग्रन्थ[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 734 |
  2. पोद्दार अभिनंदन ग्रन्थ, पृष्ठ 933, सम्पादक वासुदेव शरण अग्रवाल, अखिल भारतीय ब्रज साहित्यमण्डल, मथुरा संवत 2010

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