कंपा
कंपा - संज्ञा पुल्लिंग {संस्कृत कम् (=गाँठ) + पाश हिन्दी कंप} [1]
बाँस की पतली पतली तीलियाँ जिनमें बहेलिए लासा लगाकर चिड़ियों को फंसाते हैं।
उदाहरण- लीलि जाते बरही बिलोकि बेनी बनिता की जो न होती गूयनि कुसुमसर कंपा की।
विशेष- यह दस पाँच पतली पतली तीलियों का कुंचा होता है। इसे पतले बाँस के सिरे पर खोंसकर लगाते हैं। और फिर उस बाँस को दूसरे में और उसे तीसरे में इसी तरह खोंसते जाते है। इससे पेड़ पर बैठी हुई चिड़ियों को फंसाते हैं। बाँस को खोंचा और कूँचे को कंपा कहते हैं।
मुहावरा-
कंपा मारना या लगाना - (1) चिड़ियों को कंपे से मारना या फैसाना। (2) धोके से किसी को अपने वश में करना। फंसाना। दाँव पर चढ़ाना।
उदाहरण- अब तुम माशा अल्लाह से सयानी हो। नेक बद समझ सकती हो। अगर यहाँ कंपा न मारा तो कुछ भी न किया। - सैर कुहसार[2]
कंपा - संज्ञा स्त्रीलिंग (संस्कृत कम्पा)
1. काँपना। 2. भय। डर। 3. हिलना। आदोलन[3]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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