कँगना - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कङ्कु) (स्त्रीलिंग कँगनी)[1]
1. कंकण।
उदाहरण-
गियँ अभरन पहिरैं जहँ ताई। श्री पहिरै कर कँगन कलाई। - जायसी ग्रंथावली[2]
2. वह गीत जो कंकण बाँधते या खोलते समय गाया जाता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 729 |
- ↑ जायसी ग्रंथावली, पृष्ठ 322, सम्पादक रामचंद्र शुक्ल, नागरी प्रचारिणी सभा, द्वितीय संस्करण
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