कज्जलवन - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा पुल्लिंग (संज्ञा कदली+वन)[1]
- कजलीवन
उदाहरण-
मारू चाली मंदिराँ, चंदउ बादल माँहि। जाँणो गयँद उलट्टियउ, कज्जलवन मँह जाहि। - ढोला मारू रा दूहा[2]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 746 |
- ↑ ढोला मारू रा दूहा, पृष्ठ 538, सम्पादक रामसिंह, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, द्वितीय संस्करण
संबंधित लेख
|