कंठशोभा - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कण्ठ + शोभा)[1]
एक छंद जिसके प्रत्येक चरण में 11 प्रक्षर होते हैं और लघु अक्षरों की स्थान समता बनी रहती है, जैसे- फिरे हय बख्खर पख्खर से। मैंने फिर इंदुज पंख कसे। - पृथ्वीराज रासो[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 722 |
- ↑ पृथ्वीराज रासो, 9।32, खंड 5, सम्पादक मोहनलाल विष्णुलाल पंड्या, श्यामसुंदरदास, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, प्रथम संस्करण
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