कंडसरी - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा स्त्रीलिंग (संस्कृत कण्ठश्री)[1]
उदाहरण-
कंडसरी ग्रीवा श्रुत कुंडल, चंदण निले तिलक दुत चंद। - रघुनाथ रूपक[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 723 |
- ↑ रघुनाथ रूपक गीताँरो, पृष्ठ 253, सम्पादक महताबचंद्र खारेड़, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी
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