कजाक - संज्ञा पुल्लिंग (तुर्की क़ज्जाक़)[1]
1. लुटेरा। डाकू। बटमार।
उदाहरण-
(क) प्रीतम रूप कजाक के समसर कोई नाहिं। छबि फाँसी दै दृग गरे मन धन को लै जाहिं। - राजा पृथ्वीसिंह
(ख) मन धन तो राख्यो हतो मैं दीये को तोहि। नैन कजानन पै अरे क्यों लुटवायो मोहि। - राजा पृथ्वीसिंह
2. कजाकिस्तान नामक प्रदेश का निवासी।
कजाक - (प्रान्तीय प्रयोग) विशेषण
1. धूर्त। छल कपट करने वाला।
2. चालाक। चालबाज़।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 745 |
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