कछ - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी, प्रान्तीय प्रयोग) विशेषण (हिन्दी कुछ)[1]
उदाहरण-
कहत रविदास तोहिं सूझत न कछ काम, धाँम, धँन, धरा धाम, धनि, मँनि, दिख दंद में। - पोद्दार अभिनंदन ग्रंथ[2]
कछ - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कछ)
कक्ष।
उदाहरण-
नासिका कछ इंद्री के मूआ। - प्राणसंगली[3]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
|