कछ

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कछ - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी, प्रान्तीय प्रयोग) विशेषण (हिन्दी कुछ)[1]

उदाहरण-

कहत रविदास तोहिं सूझत न कछ काम, धाँम, धँन, धरा धाम, धनि, मँनि, दिख दंद में। - पोद्दार अभिनंदन ग्रंथ[2]


कछ - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कछ)

कक्ष।

उदाहरण-

नासिका कछ इंद्री के मूआ। - प्राणसंगली[3]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 743 |
  2. पोद्दार अभिनंदन ग्रंथ, सं. वासुदेवशरण अग्रवाल, अखिल भारतीय ब्रज साहित्य मण्डल, मथुरा, संवत 2010
  3. प्राणसंगली, सम्पादक संत सम्पूर्णसिंह, बेलवेडियर प्रेस, इलाहाबाद, प्रथम संस्करण

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