कंठमणि

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कंठमणि - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कण्ठमणि)[1]

गले में पहना गया रत्न।

उदाहरण-

गजमुकुता कर हार कंठमनि मोहइ हो। - तुलसी ग्रंथावली[2]

2. घोड़े की एक भँवरी जो कंठ के पास होती है।

3. अत्यंत प्रिय वस्तु[3]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 722 |
  2. तुलसी ग्रंथावली, सम्पादक रामचंद्र शुक्ल, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, तृतीय संस्करण
  3. अन्य कोश

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