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चौसर के खेल में वह गोटी जो उठी तो हो पर पक्की न हो। चौसर में वह गोटी जो अपने स्थान से चल चुकी हो, पर जिसने आधा रास्ता न पार किया हो।  
*चौसर के खेल में वह गोटी जो उठी तो हो पर पक्की न हो।  
*चौसर में वह गोटी जो अपने स्थान से चल चुकी हो, पर जिसने आधा रास्ता न पार किया हो।  


उदाहरण-  
'''उदाहरण'''-  


कच्ची बारहि बार फिरासी। - [[मलिक मुहम्मद जायसी]]<ref>[[मलिक मुहम्मद जायसी]]</ref>
कच्ची बारहि बार फिरासी। - [[मलिक मुहम्मद जायसी]]<ref>[[मलिक मुहम्मद जायसी]]</ref>


विशेष- चौसर में गोटियों के चार भेद हैं।
'''विशेष'''- चौसर में गोटियों के चार भेद हैं।


मुहावरा- 'कच्ची गोटी खेलना' = नातजुर्बेकार रहना। अशिक्षित बने रहना। अनाड़ीपन करना। जैसे- उसने ऐसी कच्ची गोटियाँ नहीं खेली हैं जो तुम्हारी बातों में आ जाये।
'''[[मुहावरा]]'''- 'कच्ची गोटी खेलना' =  
*नातजुर्बेकार रहना।  
*अशिक्षित बने रहना।  
*अनाड़ीपन करना।  
 
जैसे- उसने ऐसी कच्ची गोटियाँ नहीं खेली हैं जो तुम्हारी बातों में आ जाये।


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08:59, 14 नवम्बर 2021 के समय का अवतरण

कच्ची गोटी - संज्ञा स्त्रीलिंग (हिन्दी कच्ची+गोटी)[1]

  • चौसर के खेल में वह गोटी जो उठी तो हो पर पक्की न हो।
  • चौसर में वह गोटी जो अपने स्थान से चल चुकी हो, पर जिसने आधा रास्ता न पार किया हो।

उदाहरण-

कच्ची बारहि बार फिरासी। - मलिक मुहम्मद जायसी[2]

विशेष- चौसर में गोटियों के चार भेद हैं।

मुहावरा- 'कच्ची गोटी खेलना' =

  • नातजुर्बेकार रहना।
  • अशिक्षित बने रहना।
  • अनाड़ीपन करना।

जैसे- उसने ऐसी कच्ची गोटियाँ नहीं खेली हैं जो तुम्हारी बातों में आ जाये।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 741 |
  2. मलिक मुहम्मद जायसी

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