कंदरफ

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:02, 21 अक्टूबर 2021 का अवतरण (''''कंदरफ''' - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा प...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

कंदरफ - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कन्दर्प)[1]

'कंदर्प

उदाहरण- कंठण लहरि कंदरफ की पलटू गुर जी। - रामानंद[2]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 725 |
  2. रामानंद की हिन्दी रचनाएँ, पृष्ठ 15, सम्पादक पीताम्बर दत्त बड़ध्वाल, नागरी प्रचारिणी सभा, प्रथम संस्करण

संबंधित लेख