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9. एक प्रकार के केतु जो [[वरुण देवता]] के पुत्र माने जाते हैं।
9. एक प्रकार के केतु जो [[वरुण देवता]] के पुत्र माने जाते हैं। '''विशेष''' - ये संख्या में 32 हैं और इनकी आकृति [[बाँस]] की जड़ के गुच्छे की सी है। ये अशुभ माने जाते हैं।


'''विशेष''' - ये संख्या में 32 हैं और इनकी आकृति [[बाँस]] की जड़ के गुच्छे की सी है। ये अशुभ माने जाते हैं।
10. बगला।
 
11. शरीर।
;उदाहरण
विषिकंत वीर अत्यंत बंक। जिन पिष्षि कंक अनसंक संक। - [[पृथ्वीराज रासो]]<ref>खंड 5, सं. मोहनलाल विष्णुलाल पंड्या, श्यामसुंदर दास, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, प्रथम संस्करण, 6।77</ref>
 
12. युद्ध।
;उदाहरण
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13. तीक्ष्ण लोहा।
 
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15. एक प्रकार का [[आम]]<ref>अन्य कोश</ref>
 
16. मिथ्या ब्राह्मण। [[ब्राह्मण]] होते हुए अपने को ब्राह्मण कहने वाला व्यक्ति<ref>अन्य कोश</ref>
 
17. [[द्वीप]]
 
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कंक संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कङ्क) {स्त्रीलिंग कंका, कंकी (हिन्दी)}[1]

1. एक मांसाहारी पक्षी जिसके पंख बाणों में लगाए जाते थे। सफेद चील। काँक।

उदाहरण

खग, कंक, काक, शृगाल। कट कटहि कठिन कराल। - तुलसीदास

2. एक प्रकार का आम जो बहुत बड़ा होता है।

3. यम।

4. क्षत्रिय

5. युधिष्ठिर का उस समय का कल्पित नाम, जब वे ब्राह्मण बनकर गुप्त भाव से विराट के यहाँ रहे थे।

6. एक महारथी यादव जो वसुदेव का भाई था।

7. कंस के एक भाई का नाम।

8. एक देश का नाम।[2]

9. एक प्रकार के केतु जो वरुण देवता के पुत्र माने जाते हैं। विशेष - ये संख्या में 32 हैं और इनकी आकृति बाँस की जड़ के गुच्छे की सी है। ये अशुभ माने जाते हैं।

10. बगला।

11. शरीर।

उदाहरण

विषिकंत वीर अत्यंत बंक। जिन पिष्षि कंक अनसंक संक। - पृथ्वीराज रासो[3]

12. युद्ध।

उदाहरण

करि कंक संक पासुरनि डर। - पृथ्वीराज रासो[4]

13. तीक्ष्ण लोहा।

14. वृक्षविशेष[5]

15. एक प्रकार का आम[6]

16. मिथ्या ब्राह्मण। ब्राह्मण होते हुए अपने को ब्राह्मण कहने वाला व्यक्ति[7]

17. द्वीप

18. विभागों में से एक[8]

यौगिक - कंकन्नोट। कंकपत्र। कंकपर्वा। कंकपृष्ठी। कंकमुख।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्द सागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी.ए. (मूल सम्पादक) |प्रकाशक: शंभुनाथ वाजपेयी द्वारा, नागरी मुद्रण वाराणसी |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 716 |
  2. बृ. सं., पृष्ठ 83
  3. खंड 5, सं. मोहनलाल विष्णुलाल पंड्या, श्यामसुंदर दास, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, प्रथम संस्करण, 6।77
  4. खंड 5, सं. मोहनलाल विष्णुलाल पंड्या, श्यामसुंदर दास, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, प्रथम संस्करण, 2।285
  5. अन्य कोश
  6. अन्य कोश
  7. अन्य कोश
  8. अन्य कोश

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