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'''कंदू''' - (काव्य प्रयोग, पुरानी [[हिन्दी]]) [[संज्ञा]] [[पुल्लिंग]] ([[संस्कृत]] कर्दम, प्राकृत कद्दम) (काव्य प्रयोग, पुरानी [[हिन्दी]] 'काँदो') (काव्य प्रयोग, पुरानी [[हिन्दी]] 'कंदो')<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक= श्यामसुंदरदास बी. ए.|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=नागरी मुद्रण, वाराणसी |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=726|url=|ISBN=}}</ref>
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काँदो। कीचड़।
काँदो। कीचड़।

05:51, 30 अक्टूबर 2021 के समय का अवतरण

कंदू - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कर्दम, प्राकृत कद्दम) (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी 'काँदो') (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी 'कंदो')[1]

काँदो। कीचड़।

उदाहरण- अगनि जु लागी नीर मैं, कंदू जलिया झारि। - कबीर ग्रंथावली[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 726 |
  2. कबीर ग्रंथावली, पृष्ठ 11, सम्पादक श्यामसुंदर दास, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी

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