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'''कजरौटा''' - (काव्य प्रयोग, पुरानी [[हिन्दी]]) [[संज्ञा]] [[पुल्लिंग]] (हिन्दी काजर+औटा प्रत्यय)<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक= श्यामसुंदरदास बी. ए.|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=नागरी मुद्रण, वाराणसी |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=744|url=|ISBN=}}</ref> | '''कजरौटा''' - (काव्य प्रयोग, पुरानी [[हिन्दी]]) [[संज्ञा]] [[पुल्लिंग]] (हिन्दी काजर+औटा प्रत्यय)<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक= श्यामसुंदरदास बी. ए.|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=नागरी मुद्रण, वाराणसी |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=744|url=|ISBN=}}</ref> | ||
[[कजलौटा]] | *[[कजलौटा]] | ||
'''कजरौटा''' - [[विशेषण]] (हिन्दी कजलौटा) | |||
*[[काला रंग|काला]]। | |||
*श्यामल। | |||
*कजरारा। | |||
'''उदाहरण''' - | |||
सो वाही समै वा वैष्णव के लरिका ने देख्यो तो प्रथम अनेक सोने रूपे की सिंगवारी और बड़े बड़े कजरौटे नेत्रवारी गाये दीखीं। - दो सौ बावन वैष्णवों की वार्ता<ref>दो सौ बावन वैष्णवों की वार्ता, भाग 1, पृष्ठ 325, शुद्धाद्वेत ऐकेडमी, काँकरोली, प्रथम संस्करण</ref> | |||
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03:37, 23 नवम्बर 2021 के समय का अवतरण
कजरौटा - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा पुल्लिंग (हिन्दी काजर+औटा प्रत्यय)[1]
कजरौटा - विशेषण (हिन्दी कजलौटा)
- काला।
- श्यामल।
- कजरारा।
उदाहरण -
सो वाही समै वा वैष्णव के लरिका ने देख्यो तो प्रथम अनेक सोने रूपे की सिंगवारी और बड़े बड़े कजरौटे नेत्रवारी गाये दीखीं। - दो सौ बावन वैष्णवों की वार्ता[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख