"कँणयर": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
(''''कँणयर''' - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा प...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''कँणयर''' - (काव्य प्रयोग, पुरानी [[हिन्दी]]) [[संज्ञा]] [[पुल्लिंग]] ([[संस्कृत]] कर्णिकार, [[हिन्दी]] कनेर)<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक= श्यामसुंदरदास बी. ए.|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=नागरी मुद्रण, वाराणसी |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=731|url=|ISBN=}}</ref>
'''कँणयर''' - (काव्य प्रयोग, पुरानी [[हिन्दी]]) [[संज्ञा]] [[पुल्लिंग]] ([[संस्कृत]] कर्णिकार (कनियार का फूल, अमलतास का फूल), [[हिन्दी]] कनेर)<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक= श्यामसुंदरदास बी. ए.|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=नागरी मुद्रण, वाराणसी |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=731|url=|ISBN=}}</ref>


कनेर।
कनेर।

08:49, 29 अक्टूबर 2021 का अवतरण

कँणयर - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कर्णिकार (कनियार का फूल, अमलतास का फूल), हिन्दी कनेर)[1]

कनेर।

उदाहरण-

धण कँणयर री कब ज्यउँ, सूकी तोइ सुरत्त। - ढोला मारू र दूहा[2]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 731 |
  2. ढोला मारू र दूहा, 135, सम्पादक रामसिंह, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, द्वितीय संस्करण

संबंधित लेख