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धरहर बरषे सर भरे, सहज ऊपजे कउलु। - प्राणसंगली<ref>प्राणसंगली, पृष्ठ 99, सम्पादक संत सम्पूर्णसिंह, बेलवेडियर प्रेस, इलाहाबाद, प्रथम संस्करण</ref>
धरहर बरषे सर भरे, सहज ऊपजे कउलु। - प्राणसंगली<ref>प्राणसंगली, पृष्ठ 99, सम्पादक संत सम्पूर्णसिंह, बेलवेडियर प्रेस, इलाहाबाद, प्रथम संस्करण</ref>
'''कउल''' - [[संज्ञा]] [[पुल्लिंग]] ([[अंग्रेज़ी]] कौल)
कौल।
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कउल - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कमल, कँवल[1], कवल[2])[3]

कौल। कमल

उदाहरण-

धरहर बरषे सर भरे, सहज ऊपजे कउलु। - प्राणसंगली[4]


कउल - संज्ञा पुल्लिंग (अंग्रेज़ी कौल)

कौल।

उदाहरण-

जनमत मरत अनेक प्रकार त्रसित कउल पुनि बार बार। - भीखा शब्दावली[5]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी
  2. काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी
  3. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 733 |
  4. प्राणसंगली, पृष्ठ 99, सम्पादक संत सम्पूर्णसिंह, बेलवेडियर प्रेस, इलाहाबाद, प्रथम संस्करण
  5. भीखा शब्दावली, पृष्ठ 82

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