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'''कँहारा''' - [[संज्ञा]] [[पुल्लिंग]] ([[संस्कृत]] कर्मधार, व्युत्पन्न प्राकृत 'कम्महार', व्युत्पन्न 'कँहार' [[हिन्दी]] कहार)<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक= श्यामसुंदरदास बी. ए.|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=नागरी मुद्रण, वाराणसी |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=732|url=|ISBN=}}</ref>
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[[कहार]]
[[कहार]] एक उपजाति।


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कँहारा - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कर्मधार, व्युत्पन्न प्राकृत 'कम्महार', व्युत्पन्न 'कँहार' हिन्दी कहार)[1]

कहार एक उपजाति।

उदाहरण-

चपल पालकी के कँहार सरबान महाउत। - प्रेमघन सर्वस्व[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 732 |
  2. प्रेमघन सर्वस्व, पृष्ठ 12, हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग, प्रथम संस्करण, 1996 वि.

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