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*वह गुप्त वृत्तान्त जो ज्यों का त्यों कहा जाये।  
*वह गुप्त वृत्तान्त जो ज्यों का त्यों कहा जाये।  
*पूरा और ठीक-ठीक ब्यौरा।
*पूरा और ठीक-ठीक ब्यौरा।


'''[[मुहावरा]]''' - 'कच्चा चिट्ठा खोलना' = गुप्त भेद खोलना। गुप्त बातों को पूरे ब्यौरे के साथ प्रकट करना।
'''[[मुहावरा]]''' -  
*'कच्चा चिट्ठा खोलना' = गुप्त भेद खोलना। गुप्त बातों को पूरे ब्यौरे के साथ प्रकट करना।


उदाहरण- चलो, बस अब बहुत न बको। नहीं तो मैं जाके बेग़म साहब से जड़ दूँगी कच्चा चिट्ठा। - सैर कुहसार<ref>सैर कुहसार, पृष्ठ 28, पण्डित रतननाथ 'सरशार', नवल किशोर प्रेस, [[लखनऊ]], चतुर्थ संस्करण, [[1934]] ई.</ref>
उदाहरण - चलो, बस अब बहुत न बको। नहीं तो मैं जाके बेग़म साहब से जड़ दूँगी कच्चा चिट्ठा। - सैर कुहसार<ref>सैर कुहसार, पृष्ठ 28, पण्डित रतननाथ 'सरशार', नवल किशोर प्रेस, [[लखनऊ]], चतुर्थ संस्करण, [[1934]] ई.</ref>


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06:35, 8 नवम्बर 2021 के समय का अवतरण

कच्चा चिट्ठा - संज्ञा पुल्लिंग (हिन्दी कच्चा+चिट्ठा)[1]

  • वह गुप्त वृत्तान्त जो ज्यों का त्यों कहा जाये।
  • पूरा और ठीक-ठीक ब्यौरा।

मुहावरा -

  • 'कच्चा चिट्ठा खोलना' = गुप्त भेद खोलना। गुप्त बातों को पूरे ब्यौरे के साथ प्रकट करना।

उदाहरण - चलो, बस अब बहुत न बको। नहीं तो मैं जाके बेग़म साहब से जड़ दूँगी कच्चा चिट्ठा। - सैर कुहसार[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 740 |
  2. सैर कुहसार, पृष्ठ 28, पण्डित रतननाथ 'सरशार', नवल किशोर प्रेस, लखनऊ, चतुर्थ संस्करण, 1934 ई.

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