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*रह रहकर बार बार होने वाली वेदना।
*कचोटने की क्रिया या भाव।


रह रहकर बार बार होने वाली वेदना। कचोटने की क्रिया या भाव।
'''उदाहरण''' - उसे देखने के लिये उठता हृदय कचोट।<ref>झरना, पृष्ठ 73, [[जयशंकर प्रसाद]], भारती भंडार, लीडर प्रेस, [[प्रयाग]], सातवाँ संस्करण</ref>
 
उदाहरण- उसे देखने के लिये उठता हृदय कचोट। - <ref>झरना, पृष्ठ 73, [[जयशंकर प्रसाद]], भारती भंडार, लीडर प्रेस, [[प्रयाग]], सातवाँ संस्करण</ref>


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कचोट - संज्ञा स्त्रीलिंग (हिन्दी कचोटना)[1]

  • रह रहकर बार बार होने वाली वेदना।
  • कचोटने की क्रिया या भाव।

उदाहरण - उसे देखने के लिये उठता हृदय कचोट।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 739 |
  2. झरना, पृष्ठ 73, जयशंकर प्रसाद, भारती भंडार, लीडर प्रेस, प्रयाग, सातवाँ संस्करण

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