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'''कचाई''' - [[संज्ञा]] [[स्त्रीलिंग]] ([[हिन्दी]] कच्चा+ई प्रत्यय)<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक= श्यामसुंदरदास बी. ए.|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=नागरी मुद्रण, वाराणसी |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=738|url=|ISBN=}}</ref>
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1. कच्चापन।
*कच्चापन।
'''उदाहरण''' - सनै सनै थल पंक पिटाई। वीरुध तुननि की गई कचाई। - नंददास ग्रंथावली<ref>नंददास ग्रंथावली, पृष्ठ 291, सम्पादक ब्रजरत्नदास, [[नागरी प्रचारिणी सभा]], [[काशी]], प्रथम संस्करण</ref>
* नातजुर्बेकारी।
*अनुभव की कमी।


उदाहरण- सनै सनै थल पंक पिटाई। वीरुध तुननि की गई कचाई। - नंददास ग्रंथावली<ref>नंददास ग्रंथावली, पृष्ठ 291, सम्पादक ब्रजरत्नदास, [[नागरी प्रचारिणी सभा]], [[काशी]], प्रथम संस्करण</ref>
'''उदाहरण''' - ललन सलोने अरु रहे अति सनेह सों पागि। तनक कचाई देति दुख सूरन लो मुख लागि। - [[बिहारी|कवि बिहारी]]
 
2. नातजुर्बेकारी। अनुभव की कमी।
 
उदाहरण- ललन सलोने अरु रहे अति सनेह सों पागि। तनक कचाई देति दुख सूरन लो मुख लागि। - [[बिहारी|कवि बिहारी]]


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कचाई - संज्ञा स्त्रीलिंग (हिन्दी कच्चा+ई प्रत्यय)[1]

  • कच्चापन।

उदाहरण - सनै सनै थल पंक पिटाई। वीरुध तुननि की गई कचाई। - नंददास ग्रंथावली[2]

  • नातजुर्बेकारी।
  • अनुभव की कमी।

उदाहरण - ललन सलोने अरु रहे अति सनेह सों पागि। तनक कचाई देति दुख सूरन लो मुख लागि। - कवि बिहारी


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 738 |
  2. नंददास ग्रंथावली, पृष्ठ 291, सम्पादक ब्रजरत्नदास, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, प्रथम संस्करण

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