कक्कड़ - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कर्कर)[1]
1. सूखी या सेंकी हुई सुरती का भुरभुरा चूर, जिसमें पीने वाला तम्बाकू मिला रहता है। इसे छोटी चिलम पर रखकर पीते हैं।
2. काकड़।
यौगिक- कक्कड़खाना =
- जहाँ कई आदमी बैठकर हुक्का पीते हों।
- चंडूखाना। भटियारखाना।
- बुरी जगह।
- कक्कड़बाज = जो बहुत तम्बाकू पीता हो।
- हुक्के की लत वाला।
- कक्कड़ वाला = वह आदमी जो पैसे लेकर लोगों को हुक्का पिलाता फिरता हो।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 734 |
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