कच्चा नील

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कच्चा नील - संज्ञा पुल्लिंग (हिन्दी कच्चा+नील)[1]

  • एक प्रकार का नील।
  • नीलबरी।

विशेष - कारखाने में मथाई के बाद हौज में परास का गोंद मिलाकर छोड़ दिया जाता है। जब वह नीचे जम जाता है, तब ऊपर का पानी हौज के किनारे के छेद से निकाल दिया जाता है। पानी के निकल जाने पर नीचे के गड्ढ़े में नील के जमे हुए माँठ या कीचड़ को कपड़े में बाँधकर रात भर लटकाते हैं। सवेरे उसे खोलकर राख पर धूप में फैला देते हैं। सूखने पर इसी को कच्चा नील या नीलबरी कहते हैं। इसमें पक्के नील से कम मेहनत लगती है। इसी से यह सस्ता बिकता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 741 |

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