कचरना
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:32, 1 नवम्बर 2021 का अवतरण (''''कचरना''' - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी, प्रान्तीय...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
कचरना - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी, प्रान्तीय प्रयोग) क्रिया सकर्मक (संस्कृत कच्चरण = बुरी तरह चलना या अनुकरण शब्द 'कच')[1]
1.. पैर से कुचलना। रौंदना। दबाना।
उदाहरण- चलो चलु बिचलू न बीच ही तें कीच बीच नीच तो कुटुंब को कचरिहौं। ऐरे दगाबाज मेरे पातक अपार तोहि गंगा के कछार में पछारि छार करिहों। - पद्माकर भट्ट
2. सानना।
उदाहरण- लोग समझते हैं कि साला मूँगफली के तेल में आटा कचर कर ठगने लगा है। - वो दुनिया[2]
3. खूब खाना। चबाना।
मुहावरा- कचर कचरकर खाना। खूब पेट भर खाना।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
|