कजाक
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:38, 23 नवम्बर 2021 का अवतरण (''''कजाक''' - संज्ञा पुल्लिंग (तुर्की क़ज्जाक़)<ref>{{पुस...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
कजाक - संज्ञा पुल्लिंग (तुर्की क़ज्जाक़)[1]
1. लुटेरा। डाकू। बटमार।
उदाहरण-
(क) प्रीतम रूप कजाक के समसर कोई नाहिं। छबि फाँसी दै दृग गरे मन धन को लै जाहिं। - राजा पृथ्वीसिंह
(ख) मन धन तो राख्यो हतो मैं दीये को तोहि। नैन कजानन पै अरे क्यों लुटवायो मोहि। - राजा पृथ्वीसिंह
2. कजाकिस्तान नामक प्रदेश का निवासी।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 745 |
संबंधित लेख
|