कंधर
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कंधर - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कन्धर)[1]
1. गरदन। ग्रीवा।
उदाहरण-
मैं रघुबीर दूत दसकंधर। - रामचरितमानस[2]
2. बादल।
3. मुस्ता। मोया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 726 |
- ↑ रामचरितमानस, 6।20, सम्पादक शंभूनारायण चौबे, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, प्रथम संस्करण
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