कंप
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कंप - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कम्प)[1]
1. कंपकंपी। कांपना।
2. शृंगार के सात्विक अनुभावों में से एक। इसमें शीत, कोप और भय आदि से अकस्मात् सारे शरीर में कंपकंपी सी मालूम होती है।
3. शिल्पशास्त्र में मंदिरों या स्तंभों के नीचे या ऊपर की कंगनी। उभड़ी हुई कंगनी।
यौगिक- कंपज्वर = शीतज्वर। बुखार।
कंपमापक = भूकंप मापक यंत्र।
कंपवायु = एक प्रकार की बातव्याधि जिसमें मस्तक और सब अंगों में वायु के दोष से कंपन होता है। - माधवनिदान[2]
कंपविज्ञान = भूकंप संबंधी विज्ञान।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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