कंब
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कंब - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा स्त्रीलिंग (संस्कृत कम्बा)[1]
छड़ी। हाथ में शौक से रखने की छड़।
उदाहरण-
धँण कँणायररी कंब ज्यउँ, सूकी तोइ सुरत्ति। - ढोला मारू र दूहा[2]
मुहावरा-
कंब लगाना = छड़ी या लकड़ी से मारना।
उदाहरण-
मारू मन चिंता धरइ करहइ कंब लगाइ। - ढोला मारू र दूहा[3]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 728 |
- ↑ ढोला मारू र दूहा, 135, सम्पादक रामसिंह, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, द्वितीय संस्करण
- ↑ ढोला मारू र दूहा, 634, सम्पादक रामसिंह, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, द्वितीय संस्करण
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