कंसपात्र

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कंसपात्र - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत)[1]

1. काँसे का बर्तन।

उदाहरण-

कंसपात्र कौ होइ पुनि, सदन मध्य आभास। - सुंदरदास ग्रंथावली[2]

2. एक नाप जिसे आढ़क भी कहते थे। यह चार सेर की होती थी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 729 |
  2. सुंदरदास ग्रंथावली (भाग 1), पृष्ठ 180, सं. हरिनारायण शर्मा, राजस्थान रिसर्च सोसायटी, कलकत्ता, प्रथम संस्करण

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