कँउघा
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कँउघा - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा पुल्लिंग (हिन्दी कौंधना)[1]
बिजली की चमक।
उदाहरण-
मनि कुंडल चमकहिं अति लोने। जनु कंउधा लउकहिं दुहै कोने। - मलिक मुहम्मद जायसी
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 729 |
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