कँड़हार
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:28, 25 अक्टूबर 2021 का अवतरण (''''कँड़हार''' - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी; प्रान्ती...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
कँड़हार - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी; प्रान्तीय प्रयोग) संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कर्णधार)[1]
1. केवट। नाविक। माँझी। कर्णधार।
उदाहरण-
(क) जा कहँ अइस होहिं कँड़हारा। - जायसी ग्रंथावली[2]
(ख) चहत पार नहिं कोउ कँड़हारू। - रामचरितमानस[3]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
|