कँमलाणी
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कँमलाणी - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) क्रिया अकर्मक (संस्कृत कुम्लान, प्राकृत कुंमण)[1]
कुम्हलाना। मुरझा जाना।
उदाहरण- (क) धँण कमलाणी कमदणी, सिसहर ऊगइ आइ। - ढोला मारू र दूहा[2]
(ख) काटत बेलि कूप ले मेल्हीं, सींचताड़ीं कमलाणी। - ढोला मारू र दूहा[3]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 732 |
- ↑ ढोला मारू र दूहा, 129, सम्पादक रामसिंह, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, द्वितीय संस्करण
- ↑ कबीर ग्रंथावली, पृष्ठ 142, सम्पादक श्यामसुंदर दास, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी
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