कई
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कई - विशेषण (संस्कृत कति, प्राकृत कइ)[1]
एक से अधिक। अनेक। जैसे- कई बार। अनेक आदमी।
यौगिक - कई एक = अनेक। बहुत से। कई बार = कितने बार। कई दफा।
कई - विशेषण (संस्कृत कुल, काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी किअ) (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी किय)
की हुई।
उदाहरण-
अपराध छमिबो बोल पठए बहुत ही ढीठ्यो कई। - रामचरितमानस[2]
कई - क्रिया सकर्मक {(हिन्दी कहना का भूत कृदंत, ग्राम्य प्रयोग कैना (खड़ी)}
कही।
उदाहरण-
जा री जा सखी भवन आपुने लाख बात की एकु कई री। - नंददास ग्रंथावली[3]
कई - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा स्त्रीलिंग (हिन्दी काई)
उदाहरण-
सरिता संजम स्वच्छ सलिल सब, फाटी काम कई। - सूरसागर (दो भाग)[4]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 733 |
- ↑ रामचरितमानस, 1।326, सम्पादक शंभूनारायण चौबे, नागरी प्रचारिणी सभा · काशी, प्रथम संस्करण
- ↑ नंददास ग्रंथावली, पृष्ठ 367, सम्पादक ब्रजरत्नदास, नागरी प्रचारिणी सभा · काशी, प्रथम संस्करण
- ↑ सूरसागर (दो भाग), 10।3342, नागरी प्रचारिणी सभा, द्वितीय संस्करण
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