कच (शब्द सन्दर्भ)

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कच - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत)[1]

1. बाल (विशेषतया सिर का)।

उदाहरण- घरि कच विरथ कीन्ह महि गिरा। - रामचरितमानस[2]

2. सूखा फोड़ा या जरूम। पपड़ी।

3. झुंड।

4. अँगरखे का पल्ला।

5. बादल।

6. बृहस्पति का पुत्र।

विशेषण देखिए 'देवयानी'।

7. सुगंध वाला।

8. कुश्ती का एक पेंच, जिसमें एक आदमी दूसरे की बगल में से हाथ ले जाकर उसके कंधे पर चढ़ाता है और गर्दन को दबाता है।

मुहावरा- कच बाँधना = किसी की बगल से हाथ ले जाकर उसके कंधे पर चढ़ाना और उसकी गरदन को दबाना।

9. मेघ। बादल[3]


कच - [[संज्ञा पुल्लिंग (अनुकरण शब्द)

1. धँसने या चुभने का शब्द। जैसे- उसने कच से काट लिया। काँटा कच से चुभ गया। 2. कुचले जाने का शब्द।


कच - विशेषण (हिन्दी कच्चा का अल्पार्थक समास रूप)

'कच्चा'। जैसे- कचदिला = कच्चे दिल का। कच्ची पेंदी का। ढुल-मुल। कचलहू = रक्त का पंछा। लसिका। कचपेंदिया = (1) कच्ची पेंदी वाला। (2) ढुलमुल। जिसकी बात का ठिकाना न हो।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 736 |
  2. रामचरितमानस, 3।23, सम्पादक शंभूनारायण चौबे, नागरी प्रचारिणी सभा · काशी, प्रथम संस्करण
  3. अन्य कोश

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