कचूर (शब्द सन्दर्भ)

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कचूर - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कर्चूर)[1]

हल्दी की जाति का एक पौधा। नर कचूर। जरंबाद।

उदाहरण- परे पुहुमि पर होइ कचूरू। परै केदली महँ होइ कपूरू। - जायसी ग्रंथावली[2]

विशेष- यह ऊपर से देखने में बिलकुल हल्दी की तरह का होता है, पर हल्दी की जड़ और इसकी जड़ या गाँठ में भेद होता है। कचूर की जड़ या गाँठ सफेद होती है और उसमें कपूर की सी कड़ी महक होती है। यह पौधा सारे भारतवर्ष में लगाया जाता है और पूर्वीय हिमालय की तराई में आपसे आप होता है। वैद्यक के अनुसार कचूर रेचक, अग्निदीपक और बात तथा कफ को दूर करने वाला है। यह साँस, हिचकी और बवासीर में दिया जाता है।

पर्यायवाची- कर्चूर। द्राविड। कर्श्य। गंधमूलक। गंधसार। बेधभूख।

मुहावरा- कचूर होना = कचूर की तरह हरा होना। खूब हरा होना (खेती आदि का)।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 739 |
  2. जायसी ग्रंथावली, पृष्ठ 331, सम्पादक रामचंद्र शुक्ल, नागरी प्रचारिणी सभा, द्वितीय संस्करण

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