कजा
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कजा - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी, प्रान्तीय प्रयोग) संज्ञा स्त्रीलिंग (संस्कृत काञ्जी)[1]
- काँजी। माँड़।
कजा - संज्ञा स्त्रीलिंग (अरबी क़ज़ा)
- मौत। मृत्यु।
उदाहरण-
कजा से बच गया मरना नहीं तो ठाना था। - कविता कौमुदी[2]
मुहावरा- कजा करना=मर जाना।
यौगिक- कजा ए इलाही=ईश्वरीय इच्छा। ईश्वरेच्छा।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 745 |
- ↑ कविता कौमुदी, भाग 4, पृष्ठ 22, सम्पादक रामनरेश त्रिपाठी, हिन्दी मन्दिर, प्रयाग, तृतीय संस्करण
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